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नवनीत ने लॉन्च की कलर ब्लाइंडनेस पहचानने वाली किताबें

नवनीत ने लॉन्च की कलर ब्लाइंडनेस पहचानने वाली किताबें

मुंबई,  : भारत के सबसे बड़े और विश्वसनीय स्कूलबुक प्रकाशकों में से एक, नवनीत एज्युकेशन ने सभी बच्चों के लिए शिक्षा को समावेशी बनाने की दिशा में एक नवाचारी कदम उठाया है। संस्था द्वारा हाल ही में लॉन्च की गई कलर ब्लाइंडनेस डिटेक्शन बुक्स उन बच्चों की मदद के लिए तैयार की गई हैं जो रंगों को पहचानने में कठिनाई का सामना करते हैं, लेकिन अक्सर उन्हें खुद इसकी जानकारी नहीं होती। कलर विज़न डेफिशिएंसी (CVD), जिसे आमतौर पर कलर ब्लाइंडनेस कहा जाता है, लाखों बच्चों के लिए एक मौन चुनौती है। यह समस्या पढ़ाई के दौरान रंगों के माध्यम से दी जाने वाली जानकारी को समझने में बाधा बन सकती है। नवनीत की यह पहल ऐसे बच्चों की पहचान में सहायक होगी, जिससे उन्हें समय रहते सही सहयोग और मार्गदर्शन मिल सकेगा।
कलर ब्लाइंडनेस डिटेक्शन बुक्स केवल प्रारंभिक शिक्षण के लिए तैयार की गई किताबें नहीं हैं, बल्कि ये बच्चों में रंगों को पहचानने से जुड़ी किसी भी संभावित समस्या की पहचान में भी मदद करती हैं। इन पुस्तकों में ईशीहारा पद्धति पर आधारित रंग परीक्षण को चित्रों के माध्यम से सहज रूप से शामिल किया गया है, जिससे शिक्षक और अभिभावक बच्चों की शुरुआती शिक्षा के दौरान ही रंग दृष्टि दोष जैसी समस्याओं को पहचान सकें।

“भारत में लगभग 1 करोड़ बच्चे रंग दृष्टि दोष (कलर विज़न डेफिशिएंसी) से प्रभावित होने का अनुमान है,” ऐसा कहना है इस प्रोजेक्ट से जुड़े प्रमुख नेत्र रोग विशेषज्ञ डॉ. मालगी का। उन्होंने कहा, “अधिकांश मामलों में इसकी पहचान वर्षों तक नहीं हो पाती, क्योंकि यह समस्या पढ़ाई में सीधे बाधा नहीं डालती। लेकिन असल में यह बच्चों के आत्मविश्वास, भागीदारी और लंबे समय तक की शैक्षणिक प्रगति को प्रभावित करती है।”

यूनेस्को की शिक्षा में समावेशिता से जुड़ी रिपोर्ट के अनुसार, शुरुआती वर्षों में बच्चों में होने वाली 30% से अधिक सीखने की कठिनाइयों की पहचान नहीं हो पाती। इसका एक प्रमुख कारण रंग दृष्टि दोष जैसी स्थितियाँ होती हैं, जिन पर अक्सर ध्यान नहीं दिया जाता। यह रिपोर्ट इस बात पर ज़ोर देती है कि ऐसी समस्याओं की समय पर पहचान और सही सहयोग देना जरूरी है, ताकि शिक्षा को वास्तव में समावेशी बनाया जा सके और किसी भी बच्चे को पीछे न छोड़ना पड़े।

एफसीबी इंटरफेस के चीफ क्रिएटिव ऑफिसर राकेश मेनन ने कहा, “ऐसा डिज़ाइन सॉल्यूशन बहुत कम देखने को मिलता है, जो इतना सहज और ज़रूरी महसूस हो।” उनके अनुसार, “जब इसे बच्चों की शुरुआती किताबों में ही शामिल किया जाता है, तो हम इस समस्या की जल्दी पहचान कर सकते हैं और समय पर ज़रूरी मदद भी प्रदान कर सकते हैं।”

“एक प्रकाशक के रूप में, जो लाखों बच्चों के मन को आकार देता है, हमें लगा कि शुरुआती शिक्षा को अधिक समावेशी बनाना हमारी ज़िम्मेदारी है,” ऐसा कहना है नवनीत एज्युकेशन के ब्रँडिंग, मार्केटिंग और सेल्स डायरेक्टर देविश गाला का। उन्होंने कहा, “जब हम रंग दृष्टि परीक्षण को उन्हीं किताबों में शामिल करते हैं, जिनका उपयोग बच्चे पहले से करते हैं, तो हम यह सुनिश्चित करते हैं कि कोई भी बच्चा पीछे न रह जाए।”

शिक्षा के प्रारंभिक वर्षों में, जहाँ गणित, विज्ञान, भूगोल और कला जैसे विषयों में रंगों की अहम भूमिका होती है, वहाँ रंग दृष्टि दोष से प्रभावित बच्चों को अक्सर उलझन और संकोच का सामना करना पड़ता है। कई बार उन्हें ध्यान न देने वाला या धीमा सीखने वाला मान लिया जाता है, जबकि वास्तव में वे कुछ रंगों के बीच अंतर नहीं कर पाते। समय पर इस स्थिति की पहचान हो जाने पर, ऐसे छात्रों को सही मार्गदर्शन और वैकल्पिक शिक्षण पद्धतियों के माध्यम से आवश्यक सहयोग प्रदान किया जा सकता है।

नवनीत एज्युकेशन की यह पहल भारत में सीखने से जुड़ी छुपी हुई चुनौतियों को समझने और उनसे निपटने के तरीके में एक महत्वपूर्ण बदलाव को दर्शाती है। यह केवल पाठ्यपुस्तकों तक सीमित नहीं है, बल्कि इसमें डिज़ाइन थिंकिंग, शैक्षणिक नवाचार और संवेदनशीलता के माध्यम से हर बच्चे को सहयोग देने का प्रयास किया गया है। नवनीत का उद्देश्य है कि हर बच्चे को आगे बढ़ने का समान अवसर मिले, खासकर उस दुनिया में जहाँ रंगों की उपस्थिति को अक्सर स्वतः स्पष्ट और सामान्य अनुभव माना जाता है।

फ़िल्म का लिंक : https://www.youtube.com/watch?v=9Zht2KoioRo

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