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डीएसटी–फिक्की कार्यशाला में राष्ट्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी सर्वेक्षण 2024–25 के माध्यम से भारत के आरएंडडी और नवाचार पारिस्थितिकी तंत्र को सशक्त बनाने पर बल

डीएसटी–फिक्की कार्यशाला में राष्ट्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी सर्वेक्षण

श्री सुमीत गुप्ता, उप महासचिव, फिक्की।
डॉ. विवेक कुमार सिंह, वरिष्ठ सलाहकार, नीति आयोग, भारत सरकार
डॉ मुर्तज़ा खोराकीवाला, प्रबंध निदेशक, वॉकहार्ट
प्रो. प्रो. अभय करंदीकर, सचिव, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग (डीएसटी), भारत सरकार

POSTED BY: ANAGHA, 08 NOVEMBER 2025 📞 9004379946

मुंबई, (NHI.IN): भारत सरकार के विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग (डीएसटी) ने फिक्की (FICCI) के सहयोग से राष्ट्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी (एसएंडटी) सर्वेक्षण 2024–25 पर एक कार्यशाला का आयोजन मुंबई में किया। इस कार्यशाला में उद्योग, शिक्षाविद, अनुसंधान संस्थान और सरकारी एजेंसियों के प्रतिनिधियों ने भाग लिया। कार्यक्रम का उद्देश्य सर्वेक्षण में उद्योग और अकादमिक भागीदारी को सुदृढ़ करना तथा भारत में एक सशक्त, डेटा-आधारित नवाचार पारिस्थितिकी तंत्र की दिशा में ठोस रणनीति बनाना था।

राष्ट्रीय एसएंडटी सर्वेक्षण, डीएसटी द्वारा संचालित एक महत्वपूर्ण पहल है जो भारत के अनुसंधान एवं नवाचार परिदृश्य का आकलन करने में मदद करती है। यह सर्वेक्षण आरएंडडी निवेश, मानव संसाधन क्षमता और नवाचार परिणामों से जुड़ी व्यापक जानकारी प्रदान करता है।

प्रो. अभय करंदीकर, सचिव, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग (डीएसटी), भारत सरकार ने कहा,”भारत के ‘विकसित भारत’ के लक्ष्य को साकार करने के लिए अनुसंधान और नवाचार को हमारी विकास यात्रा का केंद्र बनाना होगा — न केवल विश्वविद्यालयों और प्रयोगशालाओं में, बल्कि उद्योग और स्टार्टअप्स में भी। राष्ट्रीय एसएंडटी सर्वेक्षण हमें तथ्यों पर आधारित नीति निर्माण के लिए ठोस आधार प्रदान करता है, जिससे हम अंतरालों को पाट सकें और नवाचार-आधारित विकास को गति दे सकें।”

उन्होंने आगे कहा कि सर्वेक्षण से प्राप्त सटीक डेटा सरकार को उन क्षेत्रों की पहचान करने में सक्षम बनाता है जहाँ नीति या वित्तीय हस्तक्षेप की आवश्यकता है। “यह सर्वेक्षण केवल अनुपालन नहीं, बल्कि एक राष्ट्रीय जिम्मेदारी है। इसके माध्यम से हमें उद्योग के निवेश, योगदान और विकास के अवसरों को पहचानने में मदद मिलेगी,” प्रो. करंदीकर ने जोड़ा।

उन्होंने हाल में सरकार द्वारा उठाए गए नवाचार को प्रोत्साहित करने वाले कदमों जैसे ₹1 लाख करोड़ अनुसंधान, विकास एवं नवाचार (RDI) कोष, अनुसंधान राष्ट्रीय अनुसंधान फाउंडेशन (ANRF) तथा राष्ट्रीय क्वांटम मिशन, NM-ICPS और एआई मिशन जैसी पहल का भी उल्लेख किया।

डा. विवेक कुमार सिंह, वरिष्ठ सलाहकार, नीति आयोग, भारत सरकार ने कहा, “भारत आज एक निर्णायक मोड़ पर खड़ा है, जहाँ उद्योग-प्रेरित अनुसंधान, विश्वविद्यालयों का सहयोग और सरकारी सुधार एक साथ आ रहे हैं। यह समय है कि हम प्रयोगशाला से बाज़ार तक की यात्रा को तेज करें और नवाचार की तीव्रता को नई ऊँचाई पर ले जाएँ।”

उन्होंने यह भी कहा कि “राष्ट्रीय एसएंडटी सर्वेक्षण केवल एक आंकड़ा संग्रह नहीं है , यह साक्ष्य-आधारित विज्ञान नीति का आधार है। समय पर और विश्वसनीय डेटा हमें बेहतर कार्यक्रम बनाने, अधिक उद्योग सहभागिता को आकर्षित करने और वैश्विक नवाचार सूचकांकों में भारत की स्थिति को सुदृढ़ करने में मदद करता है।”

डा. अरविन्द कुमार, सलाहकार एवं प्रमुख, एनएसटीएमआईएस, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग (डीएसटी), भारत सरकार ने अपने सत्र “रणनीतिक योजना और संसाधन आवंटन के लिए सुदृढ़ आरएंडडी सांख्यिकी का निर्माण” में कहा, “राष्ट्रीय एसएंडटी सर्वेक्षण केवल डेटा संग्रह का प्रयास नहीं है, बल्कि यह साक्ष्य-आधारित योजना और रणनीतिक निर्णय लेने की नींव है जो भारत की विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी प्रणाली को सशक्त बनाती है। पाँच दशकों से अधिक के अनुभव के साथ हमारा लक्ष्य एक मजबूत, गतिशील आरएंडडी सांख्यिकीय ढांचा विकसित करना है जो भारत की नवाचार क्षमता और वैश्विक आकांक्षाओं को दर्शाता है।”

उन्होंने आगे कहा, “उद्योग की भागीदारी भारत के आरएंडडी परिदृश्य की सटीक तस्वीर प्रस्तुत करने में महत्वपूर्ण है। समय पर और सटीक डेटा हमें प्रगति का मूल्यांकन करने, नीतिगत सुधारों की दिशा तय करने और वैज्ञानिक विकास को गति देने में सक्षम बनाता है।”

डा. मुर्तज़ा खोराकीवाला, वरिष्ठ सदस्य, फिक्की एवं प्रबंध निदेशक, वॉकहार्ट ने कहा, “राष्ट्रीय एसएंडटी सर्वेक्षण केवल सांख्यिकीय अभ्यास नहीं है , यह राष्ट्रीय आत्ममंथन का क्षण है। यह हमें यह सोचने पर विवश करता है कि क्या हम पर्याप्त निवेश कर रहे हैं और क्या हम अपने वैज्ञानिक सामर्थ्य का समाजहित में सही उपयोग कर रहे हैं।”

उन्होंने आगे कहा, “यदि एक भारतीय कंपनी वैश्विक लागत के एक-दसवें हिस्से में विश्वस्तरीय एंटीबायोटिक विकसित कर सकती है, तो यह हमारे नवाचार की क्षमता को प्रमाणित करता है। अब आवश्यकता है सही पारिस्थितिकी तंत्र, कर प्रोत्साहनों, त्वरित नियामक प्रक्रियाओं और मजबूत उद्योग-अकादमिक साझेदारी की, जिससे भारत एक वैश्विक नवाचार महाशक्ति बन सके।”

कार्यशाला के समापन पर प्रो. अभय करंदीकर ने कहा कि “भारत के डीप-टेक स्टार्टअप्स, एमएसएमई और बड़े उद्योगों के बीच सहयोग ही एक सशक्त नवाचार श्रृंखला का निर्माण कर सकता है। यह समय है कि हम वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धी नवाचार पारिस्थितिकी तंत्र को मिलकर आगे बढ़ाएँ।”

कार्यशाला का समापन इस आह्वान के साथ हुआ कि सभी आरएंडडी हितधारक राष्ट्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी सर्वेक्षण 2024–25 में सक्रिय भागीदारी करें, ताकि भारत एक सशक्त, डेटा-आधारित और नवाचार-प्रधान अर्थव्यवस्था के रूप में आगे बढ़ सके।

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