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एचडीएफसी लाइफ की ‘रेडी फॉर लाइफ’ रिपोर्ट; वित्तीय तत्परता के आकलन और वास्तविक स्थिति के बीच 26 अंकों का अंतर उजागर

एचडीएफसी लाइफ की ‘रेडी फॉर लाइफ’ रिपोर्ट;

POSTED BY : MRUNALI SAKPAL DT. 04/12/2025 📞  8850212023

मुंबई,( NHI.in) यह अध्ययन शहरी भारत में वित्तीय तैयारी के प्रति लोगों की धारणा और वास्तविक स्थिति के बीच अंतर को समझने के उद्देश्य से किया गया है। इसमें वित्तीय तत्परता के चार प्रमुख स्तंभों — वित्तीय योजना, आपातकालीन तैयारी, स्वास्थ्य एवं कल्याण, और सेवानिवृत्ति रणनीति — के आधार पर शहरी भारतीयों की वित्तीय स्थिति का तुलनात्मक विश्लेषण किया गया है

मुख्य निष्कर्ष
• देशव्यापी अध्ययन के अनुसार, भारत का वास्तविक रेडी फॉर लाइफ इंडेक्स 59 पर दर्ज किया गया, जबकि अनुभूत वित्तीय तत्परता 85 रही — यह दर्शाता है कि शहरी भारत की वित्तीय तैयारी में 26 अंकों का उल्लेखनीय अंतर है।
• सेवानिवृत्ति योजना भारत के लिए सबसे बड़ी चिंता का क्षेत्र बनकर उभरी है। रिपोर्ट में पाया गया कि हर तीन में से दो व्यक्ति, योजना होने के बावजूद, सेवानिवृत्ति के बाद पारिवारिक सहयोग पर निर्भर रहने की अपेक्षा रखते हैं।
• केवल हर पाँच में से दो व्यक्ति (40%) के पास ऐसा आपातकालीन कोष है, जो चार महीने या उससे अधिक के खर्च को वहन कर सके।
वहीं, हर पाँच में से दो स्वास्थ्य बीमा धारकों का स्वास्थ्य कवर 5 लाख रुपये से कम है।
• रिपोर्ट यह भी रेखांकित करती है कि भारत में दीर्घकालिक वित्तीय सुरक्षा और वित्तीय साक्षरता को लेकर अब भी व्यापक सुधार की आवश्यकता है — विशेष रूप से विभिन्न आय वर्गों और शहरी केंद्रों में।

मुंबई, 3 दिसम्बर 2025: एचडीएफसी लाइफ ने अपना नवीनतम शोध-आधारित अध्ययन ‘रेडी फॉर लाइफ’ जारी किया है। यह अपनी तरह का एक अनूठा अध्ययन है, जो व्यक्तियों की अनुभूत (Perceived) और वास्तविक (Actual) वित्तीय तैयारी के बीच अंतर — अर्थात् ‘फाइनेंशियल रेडीनेस गैप’— का आकलन प्रस्तुत करता है।

अध्ययन में 26 अंकों का अंतर सामने आया है, जो दर्शाता है कि व्यक्ति अपनी वित्तीय स्थिति को जितना तैयार मानते हैं, वास्तव में वे उससे काफी पीछे हैं। इसका मुख्य कारण यह है कि अधिकांश लोग अपनी वित्तीय योजनाओं को कार्यान्वित करने के लिए ठोस कदम नहीं उठाते। दूसरे शब्दों में, यह इंडेक्स दिखाता है कि अधिकांश व्यक्ति जीवन की अनिश्चितताओं का सामना करने के लिए पर्याप्त रूप से तैयार नहीं हैं। उनकी वित्तीय योजनाएँ अपेक्षित मजबूती नहीं दर्शातीं।

अध्ययन के बारे में

रेडी फॉर लाइफ इंडेक्स 2025 एचडीएफसी लाइफ की एक स्वामित्व-आधारित अनुसंधान पहल है। यह अध्ययन इप्सोस इंडिया— एक स्वतंत्र मार्केट रिसर्च कंपनी — द्वारा किया गया है। इस सर्वेक्षण में देशभर के महानगरों, द्वितीय और तृतीय श्रेणी के शहरों में रहने वाले 25 से 55 वर्ष की आयु के 1,836 कामकाजी पुरुषों और महिलाओं के आमने-सामने साक्षात्कार शामिल थे। अध्ययन में भारत की वित्तीय तत्परता का मूल्यांकन चार प्रमुख स्तंभों के तहत किया गया है — वित्तीय योजना, आपातकालीन तैयारी, स्वास्थ्य एवं कल्याण, और सेवानिवृत्ति रणनीति ।

इस इंडेक्स का उद्देश्य वित्तीय तैयारी के प्रति धारणा और वास्तविक स्थिति के बीच अंतर को उजागर करना है, ताकि लोग अल्पकालिक बचत से आगे बढ़कर संरचित और दीर्घकालिक वित्तीय योजना को अपनाएँ।

आत्मविश्वास और तैयारी का संतुलन — भारत की सेवानिवृत्ति वास्तविकता

‘रेडी फॉर लाइफ इंडेक्स 2025’ भारत की जीवन से संबंधित प्रमुख वित्तीय तैयारियों का आकलन करता है। निष्कर्ष बताते हैं कि जहाँ लोगों में जागरूकता और आशावाद दिखाई देता है, वहीं वास्तविक तैयारी अब भी असमान बनी हुई है।

हालाँकि उपभोक्ताओं के पास अपने सेवानिवृत्ति लक्ष्यों की स्पष्ट समझ है, लेकिन उनकी वित्तीय कार्रवाइयाँ और उत्पाद चयन यह संकेत देते हैं कि इन लक्ष्यों को प्राप्त करना चुनौतीपूर्ण हो सकता है। सभी स्तंभों में से सेवानिवृत्ति तैयारी सबसे कमजोर पाई गई है, जिसमें आत्मविश्वास और वास्तविक कार्रवाई के बीच 37 अंकों का अंतर दर्ज किया गया।

अध्ययन में यह भी सामने आया कि शहरी भारत के लगभग आधे लोगों ने अब तक सेवानिवृत्ति के लिए बचत की योजना शुरू नहीं की है, और हर तीन में से दो व्यक्ति सेवानिवृत्ति के बाद पारिवारिक सहयोग पर निर्भर रहने की आशा रखते हैं।

अधिकांश उत्तरदाताओं, जिन्होंने अपनी सेवानिवृत्ति की योजना बनानी शुरू कर दी है, का मानना है कि 50 लाख से 1 करोड़ रुपये का कोष उनकी सेवानिवृत्ति के बाद लगभग 17 वर्षों तक चल जाएगा। हालाँकि, मुद्रास्फीति और जीवनशैली की बढ़ती लागत को देखते हुए यह अनुमान काफी कम साबित हो सकता है। ये निष्कर्ष इस बात पर ज़ोर देते हैं कि भारत को परिवार-आधारित आर्थिक सुरक्षा के पारंपरिक मॉडल से आगे बढ़कर स्वतंत्र सेवानिवृत्ति योजना अपनाने की दिशा में ठोस कदम उठाने होंगे। इसके साथ ही वित्तीय योजना के प्रति जागरूकता को भी प्राथमिकता देने की आवश्यकता है।

वित्तीय सुरक्षा और योजना — परंपरा मज़बूत, आधुनिकता में कमी

भारतीय उपभोक्ता आज भी पारंपरिक बचत साधनों जैसे एंडोमेंट इंश्योरेंस प्लान, फिक्स्ड डिपॉज़िट और सोना को प्राथमिकता देते हैं। वहीं, टर्म इंश्योरेंस, मार्केट-लिंक्ड उत्पाद और सेवानिवृत्ति योजनाएँ, जो सुरक्षा और विकास दोनों प्रदान करती हैं, अब भी पर्याप्त रूप से उपयोग नहीं की जा रही हैं।

टर्म इंश्योरेंस, जो सबसे किफ़ायती सुरक्षा साधनों में से एक है, उसकी पहुँच सीमित है — इसका कारण है उत्पाद की सीमित समझ और क्लेम प्रक्रिया से जुड़े भ्रम, साथ ही यह धारणा कि यदि पॉलिसीधारक अवधि तक जीवित रहता है, तो उसे कोई रिटर्न नहीं मिलता। हालाँकि वित्तीय अनुशासन का स्तर कुछ हद तक बढ़ा है, फिर भी बचत की प्रवृत्ति पारंपरिक उत्पादों और अल्पकालिक लक्ष्यों तक सीमित है।
वास्तविक अवसर दीर्घकालिक और योजनाबद्ध निवेश को प्रोत्साहित करने में है, ताकि स्थायी संपत्ति बने और कम-वृद्धि वाले साधनों पर निर्भरता घटे।

एक सकारात्मक संकेत यह है कि स्वास्थ्य और वेलनेस के प्रति जागरूकता बढ़ रही है।
हर पाँच में से चार प्रतिभागी अपनी शारीरिक और मानसिक सेहत बनाए रखने के लिए नियमित शारीरिक गतिविधियों में भाग लेते हैं। इसी तरह, तीन में से दो व्यक्ति हर साल हेल्थ चेक-अप करवाते हैं। फिर भी बीमा कवरेज में अंतर बना हुआ है — पाँच में से दो उत्तरदाताओं के पास 5 लाख रुपये से कम की स्वास्थ्य बीमा कवरेज है। आपातकालीन बचत के मामले में भी स्थिति सीमित है —
पाँच में से दो व्यक्ति ही इतने धन का प्रबंध रखते हैं कि अपने घरेलू खर्चों को चार महीने से अधिक चला सकें।

क्षेत्रीय और श्रेणीवार निष्कर्ष
अध्ययन में भारत के विभिन्न क्षेत्रों और शहर श्रेणियों में वित्तीय तैयारी में उल्लेखनीय अंतर सामने आया है : —
• उत्तर भारत में सबसे बड़ा तैयारी अंतर (30 अंक) पाया गया, जो मुख्यतः आपातकालीन और सेवानिवृत्ति योजना की कमजोरी से जुड़ा है।
• पूर्वी भारत ने सबसे यथार्थवादी आत्म-मूल्यांकन (20 अंकों का अंतर) दिखाया और एक पारंपरिक, अनुशासित बचत दृष्टिकोण प्रदर्शित किया।
• दक्षिण भारत वित्तीय और स्वास्थ्य योजना के मामले में सबसे परिपक्व क्षेत्र के रूप में उभरा।
• पश्चिम भारत ने विविध निवेश दृष्टिकोण दिखाया, लेकिन दीर्घकालिक योजना पर ध्यान अपेक्षाकृत कम पाया गया।
• टियर-3 शहरों में तैयारी का स्तर सबसे कम और आत्मविश्वास का अंतर सबसे अधिक पाया गया, जो इंगित करता है कि महानगरों से परे वित्तीय साक्षरता पर अधिक ध्यान देने की आवश्यकता है।

एचडीएफसी लाइफ के एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर एवं चीफ़ बिज़नेस ऑफ़िसर, श्री विनीत अरोड़ा ने कहा, ‘रेडी फॉर लाइफ़ इंडेक्स’ भारत में वित्तीय योजना के प्रति बढ़ती जागरूकता और आशावाद को तो दर्शाता है, लेकिन यह भी बताता है कि वास्तविक तैयारी निरंतर योजना और सुरक्षा से ही बनती है। केवल आत्मविश्वास काफी नहीं है — वास्तविक तैयारी के लिए ठोस ढाँचा और निरंतर कार्रवाई आवश्यक है।

अध्ययन के निष्कर्ष स्पष्ट करते हैं कि सेवानिवृत्ति अब भी भारत की वित्तीय योजना में सबसे बड़ी अनदेखी बनी हुई है। जागरूकता बढ़ने के बावजूद दीर्घकालिक आर्थिक सुरक्षा के लिए वास्तविक कदम सीमित हैं।
इस अध्ययन का उद्देश्य लोगों के बीच यह चर्चा बढ़ाना है कि तैयारी और सुरक्षा वित्तीय स्वास्थ्य के दो सबसे अहम स्तंभ हैं, जिन पर देश-भर में सार्थक संवाद और जागरूकता की शुरुआत होनी चाहिए।”

अध्ययन में शामिल शहर : दिल्ली, चेन्नई, मुंबई, कोलकाता, लखनऊ, जोधपुर, कोच्चि, विशाखापत्तनम, वडोदरा, नागपुर, भुवनेश्वर, पटना, मुज़फ्फरनगर, पानीपत, तंजावुर, मछलीपट्टनम, आनंद, धुले, बर्दवान और गंजाम।

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